सोमवार, 28 अगस्त 2017

पिता ने रिपोर्ट कार्ड देखा बच्चे के कुछ विषय में नंबर कम आए थे पिता ने तड़ाक... एक जोरदार चाँटा मारा बेटे को....झन्नाटेदार चाँटे से लड़का सकपका कर रह गया ...जब तक कुछ समझ पाता तब तक पिता ने एक और चाँटा मारा ...लड़के का कान लाल हो गया ....पिता टीचर से उसकी शिकायतें सुनकर और भी लाल पीला हो गया ....टीचर बताती जा रही थी कि पिछले कुछ समय से बच्चा अजीब व्यवहार कर रहा था और उसकी वजह से क्लास मै डिस्टर्बेंस होता है। मेरी नज़र अब भी उस बच्चे के चहरे पर छपी उसकेे पिता की उंगलियों पर थी। मैं अधीर हो उठी मुझसे यह दृश्य देखा नहीं गया मैं उस बच्चे की मानसिक स्थिति और उसके कष्ट को देखकर परेशान हो गई ..संयोग से टीचर समझदार और सुलझी हुई थी ..मैं अनावश्यक रूप से मामले में कूद पड़ी और टीचर तथा उस बच्चे के पिता दोनों से इस बारे में बात करने लगी ..पिता समझने को तैयार नहीं था बच्चे को लेकर बाहर चला गया तब मैंनें टीचर से आग्रह किया कि वह कृपया उस बच्चे के विषय में थोड़ी नरमी से काम लें क्योंकि वह बच्चा पहले ही एक बेहद असंयमित और क्रूर स्वभाव के पिता के हाथों प्रताड़ित किया जा रहा है ..बातों ही बातों में टीचर ने बताया कि वह बच्चा एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटी में बहुत अच्छा है और गाना भी बहुत अच्छा गाता है जिसके लिए उसे स्कूल में कई बार पुरस्कार भी मिल चुके हैं लेकिन यह उस बच्चे के पिता के लिए कोई बड़ी उपलब्धि नहीं थी उसे बस बच्चे को दुनिया के साथ चलने के लिए एक अच्छे नंबर वाला रिजल्ट कार्ड चाहिए था ... घर आकर भी मैं काफी व्यथित रही मेरे सामने बार बार बच्चे का चेहरा घूमता रहा ..खैर यह तो केवल टेस्ट का रिजल्ट था, एग्जाम अभी होने थे ..अब की बार जब मैं एग्जाम का रिजल्ट लेने स्कूल पहुंची तो बच्चा नहीं आया था बच्चे के पिता उसका मेडिकल जमा करा रहे थे मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि उस बच्चे के पांव में फ्रैक्चर हो गया और वह एग्जाम ही नहीं दे पाया है ..मैं हैरान रह गई अब मेरी बारी थी उनसे बात करने की मैंने उनसे पूछा भाई साहब आप बुरा मत मानिएगा लेकिन बताइए आप ने बच्चे को इतना मारा पीटा उस पर इतना दबाव डाला लेकिन क्या फायदा हुआ ... आपका बच्चा बेहद टैलेंटेड है आपको उसके साथ नरमी से पेश आना चाहिए था थोड़ी सी काउंसलिंग और गाइडेंस के साथ वह बहुत अच्छा परफॉर्म कर सकता है ..उसका टाइम टेबल बना दे कठिन विषयों में उसे गाइड करें ...हर बच्चे का आई क्यू लेवल अलग-अलग होता है उसे उसी प्रकार हैंडल करना चाहिए बच्चे पर अपनी अपेक्षाएं लादने से पहले यह भी देखना चाहिए कि वह उन्हें पूरी कर पाने में सक्षम है या नहीं ....बच्चे के साथ जो एक्सीडेंट हुआ उसकेे द्वारा शायद प़ॄकति भी आपसे यही कहना चाहती है.... हो सकता है आप मारपीट के द्वारा पढ़ा कर एक अच्छी नौकरी दिला दें लेकिन एक बार यदि आपने अपने बच्चे के साथ पिता पुत्र के संवेदनशील रिश्ते को खो दिया तो फिर आप कभी अपने बच्चे के साथ जुड़ नहीं पाएंगे... उस दिन आपने अपने 10 -12 बारह वर्ष के बच्चे के साथ जो व्यवहार किया यकीन मानिए बड़े होने पर बच्चा उस व्यवहार को कभी भूल नहीं पाएगा कि कैसे उसके दोस्तों और टीचर के सामने आपने उसके साथ मारपीट की उसके कोमल मन से ये यादें कभी मिट नहीं पाएंगीं ..अब जितने दिन आपका बच्चा बेड रेस्ट पर है उसके साथ दोस्ताना व्यवहार कीजिए और उसे समझने की कोशिश कीजिए..अब वह व्यक्ति शायद अपने किए पर शर्मिंदां था..मैं अक्सर इस तरह के माता-पिता को देखती हूं जो बच्चों पर पढ़ाई के लिए दबाव डालते हैं और बच्चे को मानसिक रूप से बेहद कष्ट से गुजरना पड़ता है ...ये अभी हाल ही की घटना है .. आज इस घटना का जिक्र मैंनें इसीलिए किया क्यूँ कि पिछले कई रोज से जिस छोटी बच्ची की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही थी फाइनली उसका पता चल गया कि वह तोषी की भांजी है... वीडियो में बच्चे की माँ उसको बड़ी निर्दयता के साथ पढ़ा रही है और बच्ची रोए जा रही है वीडियो देखने के बाद हर कोई उस माँ के प्रति अपना गुस्सा व्यक्त कर रहा था ..जाहिर तौर पर उस महिला का अपने बच्चे के प्रति व्यवहार असंयमित और आक्रोश से भरा हुआ था ... आखिर ऐसी क्या वजह थी कि इतनी छोटी बच्ची को उसकी मां पढ़ाई के लिए इतना दबाव डाल रही थी कि वह अपना संयम खो बैठी ...समझ नहीं आता किसका दोष है उस माँ का... या हमारे एजुकेशन सिस्टम का ...जिसने ऐसी व्यवस्था निर्मित की है कि जहां बच्चों के सफल होने का मापदंड मात्र केवल उनके रिपोर्ट कार्ड को माना जाता है ... ऐसा केवल इस वीडियो में नहीं बल्कि आए दिन देखने में आ रहा है ... हमारा एजुकेशन सिस्टम केवल अच्छा परीक्षाफल लाने की एक प्रक्रिया को बढ़ावा देता है.. बच्चे के मानसिक विकास के लिए उसे परिवार और स्कूल की ओर से भावनात्मक सुरक्षा की भी जरूरत होती है हर बच्चे का आईक्यू एक सा नहीं होता लेकिन आप उससे बेहतर परफॉर्म करवाने का प्रयास करते रहे लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद बच्चा अच्छा परफॉर्म नहीं कर पा रहा है तो उसकी समस्या का किसी और तरह से हल निकालने की कोशिश करनी चाहिए.. विदेशों में बिहेवरियल थेरेपी का प्रयोग किया जाता है जिसमें बच्चे को कठिन लगने वाले विषय पर अधिक ध्यान देकर उसे सरल तरीके से सीखनें के तरीके बताए जाते हैं... किताबों के अलावा अन्य माध्यमों से विषय समझाने की कोशिश की जाती है.. खामियां हमारे एजुकेशन सिस्टम में ही हैं अति महत्वकांक्षी माता पिता बच्चे को जीनियस बनाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं बेचारे बच्चे करें तो क्या करें ...!!!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें