मैं अपने बच्चों से कभी यह नहीं कहती की वो मेरे जैसा बनें, वे जैसे हैं मैं उन्हें वैसे ही पसंद करती हूँ। मैं उन पर अपनी सपनो का बोझ कभी नहीं डालती । मैं चाहती वो स्वतंत्र हो। माँ बाप की अपेक्षाएं बच्चों पर अतिरिक्त भार रख देती हैं जिसके उनका बौद्धिक विकास प्रभवित होता है । मैं चाहती हूँ कि वे आजाद पक्षियों की तरह अपनी कल्पनाओं के आकाश में उड़े ।
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