रविवार, 15 जनवरी 2017

इंस्टेंट नूडल हो गया है प्रेम कि एक दिन निर्धारित कर लो और उस दिन इज़हारे मोहब्बत कर दो। बाकि ३६५ दिन भले ही जूते चप्पल बजते रहे। वैश्वीकरण तथा बाज़ारीकरण लोगो की मनोदशा को मुट्ठी में बंद किये बैठा है। और सफेदी लिए हुए बालों के साथ जवान होते बेटे बेटियों के सामने माता पिता भी एक दुसरे को फूल और कार्ड दे कर अपने नवीन प्रेम को प्रदर्शित कर रहे हैं। वहीँ शहर के किसी और कोने में उन्हीं की बेटियां भी अपने वैलेंटाइन के साथ इस पावन पर्व को सेलिब्रेट कर रहीं हैं। क्या प्रेम को किसी एक निर्धारित दिन के अनुसार व्यक्त किया जा सकता है?
दुनिया वाकई बहुत तेजी से बदल रही है और प्यार करने और उसे जताने के तरीके भी। 
इंटरनेट क्रांति ने आज की पीढी को ज्यादा मुखर बना दिया है| फेसबुक ट्विटर से लेकर व्हाट्सएप जैसे एप आपको मौका दे रहे हैं कि कुछ भी मन में न रखो जो है बोल दो| 

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