रविवार, 15 जनवरी 2017

शुक्रिया सभी का ... जरा सा बीमार क्या हुई दोस्तों को फ़िक्र हो गई ... इतना प्यार और क्या चाहिए जीने के लिए, सच ! लेकिन सच कहूँ कभी कभी बीमार होना भी अच्छा लगता है ...जिन्दगी की व्यस्तताएँ जब ज्यादा बढ़ जाये और दुनियादारी , घरग्रहस्थी के बीच फंस कर तुमसे तुम्हारा दिन का वो एक हिस्सा भी छिन जाये कि तुम्हे लगे कि भागने का वक़्त आ गया ... बिस्तर पर आराम फरमाते हुए लोगो से तुम्हे जलन होने लगे ..और तुम आराम करनेने को तरस जाओ तो समझ लो कि तुम्हारा खुद का शरीर तुम्हारे हक के लिए आवाज़ उठाएगा और  कुछ एक दिनों के लिए तुम मालिक ऐ आज़म की तरह अपने आरामगाह में पहुंचा दी जाओगी ...भाई मैं तो इस मौके का पूरा पूरा फायदा उठाती हूँ ...जाने फिर कब इस तरह आराम फरमाने का मौका मिले ... दिन भर टीवी देखो ...किताबें पढो ...फेसबुक पर जाकर पुरानी पोस्टें पढ़ो ...बिस्तर पर लेटे लेटे सब पर हुक्म चलाओ और वो सब काम करो जो तुम करना तो चाहते थे लेकिन व्यस्तता के चलते कर नहीं पाते थे ...और इन सब चीज़ों से ज्यादा मुझे अच्छा लगता है उसका मासूम और फिक्रमंद चेहरा..शादी के शुरुआती दिनों में जब हम दोनों में से कोई बीमार पड़ता था तो होमिओपैथी के जीनियस और हमारे फॅमिली डॉक्टर शिवदत्त शर्मा अंकल कहा करते थे, do you know wife is half mother and husband  is half father.... तो ये सबसे बेहतरीन मौका होता है मेरे लिए उसको इस तरह केयर करते हुए देखना....तो फिर किस बात की चिंता है ....आराम बड़ी चीज़ है मुँह ढक के सोइए। ....:D:D 

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