गुरुवार, 31 जनवरी 2013


कई साल बाहर रहने के बाद फिर वापिस अपने शहर में लौट  आई हूँ। मेरा शहर आज भी वैसे का वैसा, और शायद ये कभी बदलेगा भी नहीं। अपनी मिटटी की खुशबू वगेरह-वगेरह । और भी बहुत सी बातें आती  है दिमाग में, एक इमोशनल  फेक्टर तो रहता ही है। उसमें से भी हमारा घर जो शहर के बिलकुल ही पुराने इलाके में है। जो हमारे शहर  को 100% रेप्रेसेंट करता है। खलिस यूपी वाला माहोल है यहाँ। लोग कहाँ से कहाँ पहुँच गए लेकिन ये मोहल्ला आज भी वैसा है जैसा शायद 100 साल पहले रहा होगा। हर वर्ग के लोग रहते हैं यहाँ। ये  एक ऐसा शहर है जहाँ लोग काम कम करते हैं और बातें ज्यादा , और बातों में भी निंदा रस यहाँ के लोगो का एक पसंदीदा शौक  है। यहाँ के पुराने इलाकों में आज भी पुराने बने हुआ हवेलीनुमा मकान हैं जिनमे एक साथ 4-5 परिवार रहते हैं। संयुक्त व्यवसाय होने के कारण  एक ही परिवार के 4-5 लड़के अपनी गृहस्थियों के साथ लड़ते झगड़ते हुए रहते हैं। घर खर्च के लिए बाप दादाओं के समय की पुरानी  दुकाने या बिजनिस होते हैं तो दिमागी रूप से ये लोग निश्चिन्त् और प्रसन्नचित्त रहते हैं। तो बात आई निंदा रस की, मैने यहाँ पर रह कर लोगों की जीवनशैली का थोडा बहुत अध्यन कर के ये निष्कर्ष निकाला कि  यहाँ जो जितना कम काम करता है उतना ही ज्यादा निंदा रस में लिप्त रहता है। वैसे भी जो वाकई काम करता हैं उसके पास इतना वक़्त ही कहाँ होता है कि  बैठ  कर गप्पें मार सके। यहाँ के लोगों ने अपने  घरों में ही काम खोल रखें हैं, तो  समय व्यतीत करने के लिए एक दुसरे के घरों में जा बैठते हैं। मोहल्ले में एक -दो घर ऐसे हैं जहाँ सुबह शाम की महफ़िलें आम हैं। इनमें से 2-4 लोग इन गुटों के प्रतिनिधि होते हैं जो मोहल्ले के सारे घरों में घूम घूम कर निंदा के लिए विषय तैयार करने का काम करते हैं। इनकी दिनचर्या कुछ इस तरह शुरू होती है कि  सुबह की चाय और शाम की चाय के वक़्त किसी एक निश्चित जगह पर सभी लोग आकर  बैठ  जाते हैं और फिर अपनी अपनी समझ और जानकारी के हिसाब से  व्याक्खान देना शुरू करते हैं। इनके पसंदीदा विषय होते हैं- फलाँ के यहाँ हुई  शादी, फलां के यहाँ आई नई  बहू , महंगाई, राजनीति  , क्रिकेट, आदि । ये लोग सलाह देने में भी माहिर होते हैं। आपको बिना मांगे सलाह देंगे और वो भी मुफ्त। और यदि आप कभी इनके विचारो से असहमत हों तो समझिये कि आप इनकी नज़रों में  नासमझ साबित हो जायेंगे। और गलती से भी अगर आपने इनसे बहस करने की कोशिश की तो समझ लीजिये कि  आपकी शामत ही  आ गई। अपने विचारों का जरा सा भी विरोध इन्हें पसंद नहीं। और यदि किसी भी विषय पर आप इनसे तर्क करें तो अपने सारे जीवन का अनुभव और ज्ञान आप पर उढेल  देंगे। और और आपको अच्छे से समझा देंगे कि  वो चीज़ क्यां हैं।


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