मंगलवार, 22 जनवरी 2013

सपने देखना मनुष्य का स्वभाव है।हम अपने निजी जीवन में अनेक प्रकार की भ्रांतियां पाले  रहते हैं और इन्हीं भ्रांतियों के चलते हम अपने लिए सपनो का एक ताना -बाना बुनने लगते हैं।इसी उम्मीद को लेकर जीने लगते हैं की कब वो सपने सच होंगे और उनके पूरे न होने पर मायूस हो जाते हैं।पर किसी ने क्या खूब कहा है "जिन्दगी कोई रिकॉर्ड प्लेयर नहीं है, जिस पर हम अपन मनपसंद संगीत सुन सके, बल्कि वो एक रेडियो की तरह है जिसे हमें  रेडियो स्टेशन  की फ़्रिकुएन्सी  के हिसाब से सेट करना पढता है।" इसी सच को अगर हम भली भांति समझ जाएँ तो शायद हमें अपनी सारी समस्याओं का हल मिल जाये।अपनी क्षमताओं का सही आकलन कर स्वयं को परिस्तिथियों के अनुरूप ढाल कर ही हम एक सन्तोषजनक जीवन जी सकते हैं।धारा के विपरीत नहीं  धारा के साथ बह कर ही पार लगा जा सकता है।लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि  हम सपने देखना छोड़ दें।क्योंकि दिल तो वो जिद्दी बच्चा  है जो हमेशा ही किसी नए खिलोने की तलाश में रहता है।सपने देखें और उन्हें पूरा करने का प्रयास भी करते रहे लेकिन साथ ही साथ वर्तमान की परिस्थितियों के साथ सामंजस्य भी बनाना सीख लें। जिससे यदि कभी कोई एकाध सपना टूट भी जाये तो हम हताश न हों।कभी कभी ऐसा होता है कि  कोई बहुत ही प्रतिभाशाली व्यक्ति अवसर न मिल पाने की दशा में अपनी क्षमता से कम कार्य करने को मजबूर हो जाता है। और कोई कम योग्यतापूर्ण व्यक्ति चालाकी से  अवसर प्राप्त करके आगे निकल जाता है। इस स्थिति में असंतोष और क्षोभ होना लाज़मी है। लेकिन साथ ही हमें ये याद  रखना चाहिए कि  चालाकी और चाटुकारिता के साथ जीवन के कुछ पढाव तो पार किये जा सकते हैं लेकिन लम्बी रेस का घोड़ा  तो वही होता है जो अपनी कार्यक्षमता और योग्यता से अपने कार्य क्षेत्र में अपना लोहा मनवाता है। प्रतिस्पर्धा के इस दौर में बहुत जरूरी है कि  हम स्वयं को नकारात्मक सोच से बचाएँ और अपनी प्रतिभा का सही इस्तमाल करके स्वयं को समय के साथ आगे बढ़ायें । जीवन के प्रति अपने उत्साह को कभी कम न करें और अपनी सोच को हमेशा सकारात्मक बनाएं रखें। दूसरों से अपनी तुलना करना न सिर्फ समय की बर्बादी है बल्कि एक अवगुण है जो हमें हमारे लक्ष्य से भ्रमित करता है। रोज़ थोडा समय अपने लिए निकालें। लम्बी सैर पर जायें और मेडीटेशन करें।अपनी मानसिक शक्ति को बढायें तभी शारीरिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ रह पाएंगे। अपनी उपलब्धियों पर खुश होना सीखें, परिवार को समय दें और जीवन की छोटी छोटी खुशियों को जीना सीखें।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें