गुरुवार, 5 जुलाई 2012

यादें........ कहने भर को यादें होती हैं, वर्ना जिन्दगी से कुछ इस तरह  जुडी होती हैं कि  वर्तमान के ऊपर अतीत भारी पड़ने लगता है, काश दिमाग में भी कम्प्यूटर की तरह कोई अन-डू  कमांड होती  जो चीजो को  दिमाग से पूरी तरह डिलीट कर सके।पर नहीं दिमाग कोई मशीन नहीं बल्कि इन्सान के शरीर का वो हिस्सा है जो बीती  बातो को  भूलने में बहुत वक़्त लगाता है, और अगर भूल भी जाये तो कोई गारंटी नहीं है कि हवा के एक झोंके की तरह  कब बीते हुए लम्हे आँखों के आगे फिर से घूमने लग जायें। और फिर दिल में न जाने कैसे -कैसे ख्याल आते हैं  काश हम ये कर लेते ,काश हम वो कर लेते.....काश ऐसा हो पाता........काश वैसा हो पाता।.
और भी जाने कितने सवाल जिन्हें सोच -सोच कर दिल अफ़सोस करता रहता है।.और वो भी उन बातों  के लिए जो कभी होनी थी ही नहीं।खेर ये तो इंसानी फितरत है कि  इन्सान हमेशा ही अपने वर्तमान से असंतुष्ट  रहता है। पर कुछ अधूरे ख्वाब जो दिल के किसी कोने में एक सवाल बन कर छुपे हुए रह जातें हैं उनका क्या किया जाये। वो हर बार हमें याद  आ कर  मुहं चिड़ा जाते है और हमारे सो-कॉल्ड हैप्पी  स्टेटस  पर सवाल खड़ा  कर  जाते हैं। और फिर हम दिल को ये कह कर तसल्ली देते हैं कि  सबको सब कुछ नहीं मिलता।.

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